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सॉनेट - १७, मेरी कविताई पर भविष्य में कौन करेगा भरोसा / विलियम शेक्सपियर / अनिल जनविजय
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13:01, 23 अगस्त 2022
यदि मैं तेरे सब गुणों से ही, बस, पूर दूँगा उसको
ख़ुदा जानता है कि वो तब मक़बरा बन जाएगी ऐसा
जीवन
आधा छुपा लेगी
और
जीवन को औ’
आधा झलकाएगी जिसको
काश ! अगर मैं लिख पाता, तेरी आँखों का सौन्दर्य समूचा
अनिल जनविजय
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