गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सॉनेट - ४२, ये मेरी निस्सीम व्यथा कि तूने कर लिया उसपर अधिकार / विलियम शेक्सपियर / अनिल जनविजय
3 bytes added
,
20:07, 24 अगस्त 2022
{{KKCatKavita}}
<poem>
ये मेरी निस्सीम व्यथा कि
तूने
तुमने
कर लिया उसपर अधिकार
अब भी ये कह सकता हूँ मैं कि उससे है मुझे बेहद प्यार
है उसे भी
तुझसे
तुमसे
अनुराग — मन मेरा कर रहा विलाप
राग-विराग का खेल ये हंतक, हिय में मचा है हाहाकार
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,610
edits