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स्मृति 23 मार्च, 1931 / शशिप्रकाश

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'सत्य ठोस है' (ब्रेष्त)
'और नीला आइना बेठोस' (शमशेर)

बेठोस प्रतिबिम्बित कर रहा है ठोस को
नीलेपन के स्वप्निल रंग से
सराबोर करता हुआ ।

मौन बहता है जीवन में
और जीवन का शोर प्रवाहित दिगन्त में ।
ठोस है बेठोस ।
बेठोस होगा ठोस ।

उम्मीदों का रंग नीला
हठ साँवला तपा हुआ
ख़ून हरदम की तरह लाल
बहता हुआ
अनगिन अँधेरी सुरंगों से होकर ।

हमारी तमाम लड़ाइयों की तरह
और महान शहादतों की तरह
इनकी स्मृतियाँ
ज्यों ऋतुओं के बारे में
सोचतीं वनस्पतियाँ ।
००
23 मार्च 2002
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