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चिरस्थायी अधुनावाद में / ओबायद आकाश / शीतेन्द्र नाथ चौधुरी
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06:54, 25 सितम्बर 2022
दर्द से छटपटाती है लहूलुहान हृदय पटल की त्वचा
देहभर में लगी कीचड़- माटी निजी तालाब के पानी में आज्ञाकारी छात्र है
तब फिर पवित्र शरीर का भार बिखर जाता है
अनिल जनविजय
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