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|रचनाकार=देवनीत
|अनुवादक=रुस्तम सिंह
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<poem>
स्टूडियो में आ खड़ा है
एक मज़दूर परिवार

पति-पत्नी तीन बच्चे
बच्चों पर दो-दो रुपए वाले
काले चश्मे

मज़दूर लड़का बोला
हम सबकी इकट्ठी
फ़ोटो ले लो

उसके चेहरे पर
फ़ोटो खिंचवाने का चाव
फैल गया

तीस रुपये में ख़रीदा
तीन पलों का चाव

लड़की के चेहरे पर
शादी के वक़्त वाली
शर्म सिमट रही

वह तीन बच्चों की
माँ होना भूल गई ।

'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : रुस्तम सिंह'''
</poem>
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