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<poem>
बड़े अस्पताल की ऊँची इमारत के नीचे
खड़ी है एक लड़की,

उसका आसमान,
ऊपर लटका हुआ है

लड़की की मुट्ठी में है
उसके तन्दुरुस्त होने की उम्मीद भिंची हुई

ऊपर से ख़बर मुट्ठी पर आ गिरी है

मुट्ठी ख़ाली हो गई है,
लड़की की चीख़ निकल गई है,

बाजू हवा का आलिंगन ले गए है
हजूम चुपचाप खड़ा है

लोगो में खड़ा सफ़ेद गुम्बद
लड़की का बाप बनता है,
वह गुम्बद को पकड़कर
चीख़ें मार रही है ....


'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : जगजीत सिद्धू'''
</poem>
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