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10:05, 12 अक्टूबर 2022 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=तेमसुला आओ
|अनुवादक=श्रुति व यादवेन्द्र
|संग्रह=
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<poem>
'''जतिंगा — असम की एक जगह का नाम, जहा~म हर साल हज़ारों पक्षी सामूहिक रूप से आग में जलकर आत्महत्या करते हैं ।'''
क्या खींच ले जाता है तुम्हें वहाँ,
ओ अमर पक्षियो !
ताक़त
तुम्हारे नन्हे परों की
या मरती हुई चीख़ें
तुम्हारे सुरीले गलों की ?
कौन खींच ले जाता है तुम्हें वहाँ,
ओ अमर पक्षियो !
किसी अदृश्य वंशीवादक की
सम्मोहन तानें
या कोई जादू
डूबती किरणों का
विदा होते हुए सूर्य की ?
कौन बताता है तुम्हें
कब जाना है
ओ अमर पक्षियो !
क्या हासिल होता है तुम्हें
जब मरते हो तुम
ओ अमर पक्षियो !
क्या बाध्य करता है तुम्हें
ओ अमर पक्षियो !
स्वेच्छा से वरन करने को
अन्तिम मृत्युपाश,
केवल जतिंगा में ?
—
'''अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : श्रुति व यादवेन्द्र'''
</poem>