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डोर चाँदनी / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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13:51, 23 अक्टूबर 2022
ताप नहीं छू सके
तुम्हें वह बल दूँ।
-0-[19-7-21]
</poem>
वीरबाला
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