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{{KKRachna
|रचनाकार=पाब्लो नेरूदा
|अनुवादक=अशोक पाण्डे
|संग्रह=बीस प्रेम कविताएँ और उदासी का एक गीत / पाब्लो नेरूदा / अशोक पाण्डे
}}
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<poem>
तुम्हें याद करता हूँ। तुम जैसी थीं पिछले शरद में ।
तुम थीं, स्लेटी टोपी और ठहरा हुआ हृदय ।
तुम्हारी आँखों में गोधूलि की लपटें लगातार लड़ा करती थीं ।
और पत्तियां गिरा करती थीं तुम्हारी आत्मा के जल में ।

चढ़ते हुए पौधे की तरह कसकर भींचे मेरी बाँह
पत्तियाँ इकट्ठा किया करती थीं तुम्हारी आवाज़ को, जो धीमी थी और विश्रान्त
तुम्हारे रूआब की आग जिसमें मेरी प्यास जल रही थी
एक मीठी नीली मणि गुँथ गई मेरी आत्मा में ।

मैं तुम्हारी आँखों को यात्रा करते हुए महसूस कर सकता हूँ, और शरद अभी बहुत दूर :
स्लेटी टोपी, एक चिड़िया की आवाज़, घर जैसा एक दिल
जिसकी दिशा में प्रवास के लिए निकल पड़ीं मेरी गहन चिन्ताएँ
और प्रसन्न चिंगारियों की तरह गिरे मेरे चुम्बन ।

एक समुद्री जहाज़ से आसमान । पहाड़ियों से खेत :
तुम्हारी स्मृति बनी है एक ठहरे हुए तालाब की रोशनी और धुएँ से !
तुम्हारी आँखों के आगे , और आगे, शामें दहक रही थीं ।
सूखी, शरद की पत्तियाँ घूम रही थीं तुम्हारी आत्मा में ।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पाण्डे'''
</poem>
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