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परिखा / जय गोस्वामी
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15:56, 10 नवम्बर 2008
काठकोयला हुई, जली-झुलसी देह लिए,
टकटकी लगाए, देख रही है हमारी ओर
हमारी ही बहन-- तापसी
मलिक
मालिक
!
'''बांग्ला से अनुवाद : सुशील गुप्ता'''
</poem>
अनिल जनविजय
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