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कुछ शेर-दोहे / कुमार मुकुल
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13:42, 29 नवम्बर 2022
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जिगर के दर्द से अपने
,
दिये जो हमने बाले हैंउसी से तीरगी है यह
,
उसी से यह उजाले हैं।
तिरा शौक तुझको बहाल हो, हो जीना मेरा मुहाल हो
Kumar mukul
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