Changes

छोकरागीरी / पीयूष दईया

234 bytes added, 14:33, 11 नवम्बर 2008
दिखा नहीं फिर
'''"एक मुक्का भी कभी खुली हुई हथेली और उंगलियाँ था"-- येहदा अमिख़ाई की यह कविता-पंक्ति पढ़कर'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits