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{{KKRachna
|रचनाकार=जान दुबरोफ़ (जेहन्ने डरब्यू)
|अनुवादक= रति सक्सेना
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<poem>
हर औरत को यह जानने के लिए
मैच मेकर की जरूरत नहीं कि
उसका दिल बिस्तरे के नीचे
कितनी गोलाई में दबता है

इतनी ज़ोर से दबता हुआ कि
मैं वहाँ रखती हूँ
अपने ख़ून का ताम्बई स्वाद

मेरे हाथ कितनी आसानी से
खोज लेते हैं खाल का झुरमुट
अक्ष और सटकनी

मैं इन्हें किताब के पन्नों में
रख लेती हूँ, फूलों की तरह सीधे,
जैसे कि सुगन्ध

यह बैंगनी सपना है
जो एक खुले मैदान में,
काफी तेज़ दौड़ रहा है

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रति सक्सेना'''
</poem>
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