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सॉनेट — 26
न तो इक्वीक के टीलों का अद्भुत्त रंग,
न ग्वाटेमाला कि रियो डुलसे नदी का प्रवेशद्वार :
किसी ने नहीं बदली है तुम्हारी, गेहूँ में दबी रूपरेखा,
न ही तुम्हारा द्राक्ष-सा मांसल रूप, न ही तुम्हारा सितार-सा मुख ।
 
ओ मेरे अपने हृदय, समस्त मौनता के पहले,
उलझी हुई लताओं द्वारा शासित ऊँची भूमि से
निर्जन प्लेटीनम के मैदानों तक : प्रत्येक शुद्ध परिदृश्य में
धरा ने निर्मित की है तुम्हारी प्रतिकृति ।
 
किन्तु पहाड़ों के लजाए हुए खनिज हाथों ने,
न ही तिब्बत की बर्फ़ ने, न ही पोलैण्ड के पत्थरों ने —
कोई भी परिवर्तित नहीं कर पाया तुम्हारा स्वरूप
तुम्हारा यात्रा करता हुआ गेहूँ का दाना :
 
मानो मिट्टी, गेहूँ के खेत, सितार, या चिल्लान के फलों का समूह
समझते हैं तुममें भलीभाँति अपना स्थान, असभ्य चन्द्रमा की थोपकर चाह
वे संरक्षित करते हैं तुमसे अपना सम्बन्ध ।
 
 
इक्वीक —उत्तरी चिली का एक मत्स्याखेट व पर्यटन के लिए सुप्रसिद्ध शर, जहाँ सफ़ेद रेत के मीलों लम्बे शानदार बीच हैं।
ग्वाटेमाला — एक देश का नाम ।
रियो डुलसे — ग्वाटेमाला की एक नदी ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनीत मोहन औदिच्य'''
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