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और जिसकी कि सुबह का भी गगन काला है।
काँपती लौ, यह सिपाहीसियाही, यह धुआँ यह काजल
उम्र सब अपनी इन्हें गीत बनाने में कटी,
कौन समझे मेरी आँखों की नमी का मतलब
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