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03:35, 1 फ़रवरी 2023 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=शील
|अनुवादक=
|संग्रह=लाल पंखों वाली चिड़िया / शील
}}
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<poem>
अशरीरी ईश्वर का फ़रिश्ता —
धर्म ...
पाखण्डों को महिमा-मण्डित
पाखण्डियों को मालामाल करता,
ग़रीब-जन की रोटी छीनता,
कलह के बीज बोता —
आदमी की बुद्धि हर लेता है ।
—
26 दिसम्बर 1987
</poem>