Changes

पहली बारिश / कल्पना मिश्रा

1,790 bytes added, 13:13, 27 फ़रवरी 2023
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कल्पना मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कल्पना मिश्रा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आज हुई पहली बारिश से धरती तृप्त हो गई
ये बारिश उसके कंठ ही नहीं
अपितु आत्मा तक छा गई ।
बारिश से प्रकृति के चेहरे पर मुस्कान आ गई
जीवन में, कण कण में जान आ गई

धूली-धूली सी जिंदगी, सब खुश हो गए
जैसे एक बालक खुश होता है माँ के प्यार को पाकर
सैनिक खुश होता है, देश की पुकार को पाकर
प्रेमी खुश होता है, प्रेमिका के दीदार को पाकर
मंच खुश होता है, नृत्यागना की झंकार को पाकर

पहली बारिश की भीनी भीनी खुशबू से
सब सराबोर हो गए
चहुँ ओर हरियाली से, चाय की प्याली से
सब चितचोर हो गए ।

एक संगीत सा बजने लगा सबके मन में
एक महक सी आने लगी सबके तन से
जीवंतता झलकने लगी सबके जीवन में
फूल-फूल खिल गए, प्रेम उपवन में ।
आज हूई पहली बारिश से धरती तृप्त हो गई ।।
</poem>