Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहम्मद मूसा खान अशान्त |अनुवादक=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहम्मद मूसा खान अशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
आप जब खिलखिला के हँसते हैं
तीरगी में चिराग जलते हैं

आप मिलते तो बस खुशी मिलती
आप रूठे तो हाथ मलते हैं

तुम मिरी हो हि जाओगी एक दिन
ख़्वाब आंखों में मेरी पलते हैं

तुम तो रहते हो मेरी आँखों में
ये लगे हम जो आँख मलते है

ज़िंदगी है ख़ुदा के हाथों में
हम न मूसा किसी से डरते हैं
</poem>