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11:22, 13 अप्रैल 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तादेयुश रोज़ेविच
|अनुवादक=असद ज़ैदी
|संग्रह=
}}
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<poem>
मैंने देखे हैं पागल
जो समुद्र की सतह पर चले
अन्त तक विश्वास की डोर थामे हुए
और डूब गए
वे अब तक झकझोरते हैं
मेरी डगमग करती नाव को
क्रूरता से जीवित रहते हुए
मैं उन अकड़ चुके हाथों को
परे धकेलता हूँ
मैं उन्हें परे धकेलता हूँ साल दर साल
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी'''
</poem>
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