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<poem>
क्या हमारे अहाते से ही उठेगा
मेरा जनाजा जनाज़ा ?
तीसरी मंज़िल पर रहता हूँ मैं
बारिश से भीग चुके होंगे
अगर ट्रक में रखकर ले जाएँगे जनाजा जनाज़ा
तो खुला होगा मेरा चेहरा
जैसे सभी को ले जाते हैं ट्रक में
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