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तुरहियाँ / किऑक थाकेल / अनिल जनविजय
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11:01, 13 मई 2023
अन्धेरे की काली दीवार पर जहाँ, नाचती दिख रही हैं नर्तक परछाइयाँ
कहकहे हैं, पागलपन है, सुर्ख़ पताकाओं के नीचे बज रही हैं तुरहियाँ ।
'''मूल जर्मन से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
अनिल जनविजय
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