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तुरहियाँ / किऑक थाकेल / अनिल जनविजय
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17:33, 13 मई 2023
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कटे-छँटे नम्रा के पेड़ों के नीचे
गोरे
साँवले
बच्चे खेल रहे हैं जहाँ,
झड़ रहे पत्ते, बज रही तुरहियाँ क़ब्रिस्तान थरथरा रहे हैं वहाँ ।
उदास हैं मेपल के पेड़, पताकाओं से लहराते उनके सुर्ख़ पत्ते
अनिल जनविजय
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