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06:41, 14 मई 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पाब्लो नेरूदा
|अनुवादक=तनुज
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
और मनुष्य होना
स्तालिन जैसा ही
स्तालिनवादी उसूल है
हम सबको स्तालिन से
ये बातें सीखनी चाहिए —
उसकी अति गम्भीर तीव्रता
और उसकी ठोस साफ़गोई
आदमी और जनता की समझदारी के
स्तालिन शीर्षबिन्दु हैं
स्तालिनवादी,
हम सब गर्व से धारण करते हैं ये पदवी !
स्तालिनवादी मज़दूरो !
बाबुओ !
और औरतो !
हम सब कभी नहीं भूलेंगे इस दिन को
रौशनी अब भी नहीं गुमी
आग अब तक नहीं बुझी
रौशनी,
रोटी,
आग
और उम्मीदें
स्तालिन के अपराजेय दौर में ।
हालिया वर्षों में :
कबूतर,
शान्ति,
आवारा सताए गए गुलाब
सब पाते हैं स्थान
उसके कन्धे पर
और वह विशालकाय स्तालिन उठाता है
उन सबको
अपने दिमाग की ऊँचाई तक...
+++
किनारों के पत्थरों के अवरुध्द, एक तरंग गश्त खाता है;
लेकिन मलिनकोफ़ तुम अपना काम ज़ारी रखना ।
'''तनुज द्वारा अँग्रेज़ी से अनूदित'''
</poem>