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18:29, 17 मई 2023 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=कमल जीत चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
जिसने ताला बनाया
उसने चाबी भी बनाई
जिसने दीवार बनाई
उसने खिड़की भी बनाई
जिसने धुरी बनाई
उसने यात्रा भी बनाई
जिसने हवा और पृथ्वी बनाई
उसने धूपभरे जल में स्नान करके उड़ती
चिड़िया भी बनाई
...
जिसने बन्दूक बनाई
उसने और क्या बनाया ?
</poem>
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