Changes

अंतर्वस्त्र / दीपा मिश्रा

1,327 bytes added, 11:50, 18 जुलाई 2023
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीपा मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दीपा मिश्रा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatMaithiliRachnakaar}}
<poem>
अपन उज्जर अंतर्वस्त्रकेँ
ओ रंगीन कपड़ाक नीचा
झांपिकेँ सुखबैत अछि
ठीक ओहिना जेना
अपन इच्छाकेँ
मर्जादाक नीचा
झांपिकेंँ रखैत अछि
जाहिसँ कहीं किछु
बेपर्द ने भऽ जाए
कतेको इच्छा
कतेको मोन
एहिना नुकायल
झाँपल
उपेक्षित रहि जाइए
कियाक ने स्त्री
अपन अंतर्वस्त्रकेँ
ओहिना पसारब सीखए
मोनमे कोनो भय
कोनो लाज नै राखि
ओकरा स्वीकार
करब आवश्यक
कुंठा रहित
नव समाजक सृजन
तखने संभव होयत
जखैन ओ अपन इच्छाकेँ
संस्कार आर परंपरासँ
झाँपब छोड़ि देत
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,132
edits