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अखरोट का पेड़ / नाज़िम हिक़मत / अनिल जनविजय
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11:45, 21 सितम्बर 2023
सुबह से शाम तक और रात भर
रेशमी रुमाल की तरह सरसराती हैं, भरभराती हैं
अरी
अरे
प्यारे, तोड़ ले हमें और अपने आँसू पोंछ ले
ये पत्तियाँ हीं मेरे हाथ हैं, एक लाख हरे हाथ
अनिल जनविजय
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