* [[जीवित हूँ मैं अभी, हिया मेरा बघेरा / अलेक्सान्दर ब्लोक]]
* [[तब सूरज डूब रहा था जब तुझसे मैं मिला था / अलेक्सान्दर ब्लोक / अनिल जनविजय]]
* [[घास उग आई है उन क़ब्रों पर, जिन्हें हमने भुला दिया / अलेक्सान्दर ब्लोक / अनिल जनविजय]]
'''[[वरयाम सिंह]] द्वारा अनूदित'''
* '''[[दूर की आवाज़ / अलेक्सान्दर ब्लोक]]''' (कविता-संग्रह)