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अब बच्चे, बच्चे नहीं रहे / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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16:45, 23 नवम्बर 2023
उन्हें रूठने की फुर्सत नहीं
चहकने की कोशिश करने पर
सिप़फ़र्
सिर्फ़
रुलाई फूट सकती है।
बाबा के किस्से, दादी की सीख
उनके लिए बेमानी हैं, बकवास हैं
वीरबाला
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