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मजूर / विहाग वैभव

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|संग्रह=मोर्चे पर विदागीत (संग्रह) / विहाग वैभव
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<poem>
जब पसीना
उसकी जीभ से आने लगे
और हाथों के छालों से
मेहरा जाए फरसे की बेंट

फिर भी वो चलता रहे
चलता ही रहे

तो आप समझ जाएँ

या तो उसका बेटा बीमार है
या बेटी सत्रह पार है ।
</poem>
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