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22 जनवरी {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जों दैव
|अनुवादक=योजना रावत
|संग्रह=
}}
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<poem>
चरम ध्यान के अन्त में लीन
अपने ही घेरों से मुक्त
शून्यता
शुरुआत में शुरुआत
मायावी जल
सहेजता इसे
एक अदृश्य भँवर में
ढूँढ़ता
सागर की निर्बाध सम्पूर्णता
एक गहरी कल्पना में डूबे
धरती पर बसे घर
पानी की बिखरी लकीरें
जो
रूपांतरित करतीं
ज्ञान को
सांसारिक कोलाहल में
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : योजना रावत'''
</poem>
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