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कुछ दोहे / राम सेंगर
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25 जनवरी
इन-से उन-से क्यों नहीं, हुए हमारे रंग ।
हम-से कितनों के
हु
हुए
, सोच-विचारी ढंग ।।
सोच-विचारी ढंग में, दिखे नज़र की राह ।
अनिल जनविजय
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