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जहाँ जाओ जुनून मिलता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
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11:50, 24 फ़रवरी 2024
सिर्फ़ आँखों में खून मिलता है।
रोज
रोज़
सूरज से लड़ रहा हूँ तब,
रात कुछ पल को मून मिलता है।
कहीं भत्ता भी मिल रहा दूना,
कहीं वेतन भी न्यून मिलता है।
</poem>
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