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मेरे जज़्बात मेरे नाम बिके / अनिरुद्ध सिन्हा
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16:04, 20 नवम्बर 2008
उनके ईमान सरेआम बिके
एक
मंडि
मंडी
है सियासत ऎसी
जिसमें अल्लाह बिके राम बिके
गंगाराम
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