Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरभजन सिंह |अनुवादक=गगन गिल |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरभजन सिंह
|अनुवादक=गगन गिल
|संग्रह=जंगल में झील जागती / हरभजन सिंह / गगन गिल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कोई नहीं कोई नहीं
वह मेरा कोई भी नहीं
मेरे पड़ोस में रहता वह
मेरा पड़ोसी नहीं था ।

उसे ले गए वे
जो जब आते हैं, रात हो जाती है ।

गली की इस चुप्पी को
मैं सिर्फ़ इतना भर जानता हूँ
एक बार जल्दी-जल्दी गुज़रते हुए
मैंने उसकी नेम-प्लेट चोर आँखों से पढ़ी थी ।

या कभी-कभी गली के नुक्कड़ पर
बे-दरवाज़ा दीवार पर लगे
नए और पुराने इश्तिहार
बड़े गौर से पढ़ते उसे देखा था ।

वे आए जीप में
हथकड़ियों समेत
चीख़ते बूटों समेत
बेवजह ।

वह जब अपने जलूस में
गली में से गुज़रा
मैं अपने घर के सामने
दीवार पर लगे इश्तिहार-सा हाज़िर था
उसने गली के सभी इश्तिहारों को
एक-एक करके देखा
और फिर चुपचाप जीप में जा बैठा ।

कोई नहीं कोई नहीं
वह मेरा कोई नहीं था
जीप चली गई तो लगा
यह गली एक दरिया थी
जो अभी-अभी सूखा है
यहाँ एक पेड़ था
जिसके पंछी-पत्ते अचानक
उड़ गए हैं कहीं
घर की दुछत्ती पर
एक कबाड़-बक्सा है
उस में खुरदरा, ज़ंग लगा
एक चाकू है, बेवजह ।

कोई नहीं कोई नहीं
वह मेरा कोई नहीं था
मेरे पड़ोस में रहता वह
मेरा पड़ोसी नहीं था ।

'''पंजाबी से अनुवाद : गगन गिल'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,690
edits