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|रचनाकार=हरभजन सिंह
|अनुवादक=गगन गिल
|संग्रह=जंगल में झील जागती / हरभजन सिंह / गगन गिल
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<poem>
कोई नहीं कोई नहीं
वह मेरा कोई भी नहीं
मेरे पड़ोस में रहता वह
मेरा पड़ोसी नहीं था ।
उसे ले गए वे
जो जब आते हैं, रात हो जाती है ।
गली की इस चुप्पी को
मैं सिर्फ़ इतना भर जानता हूँ
एक बार जल्दी-जल्दी गुज़रते हुए
मैंने उसकी नेम-प्लेट चोर आँखों से पढ़ी थी ।
या कभी-कभी गली के नुक्कड़ पर
बे-दरवाज़ा दीवार पर लगे
नए और पुराने इश्तिहार
बड़े गौर से पढ़ते उसे देखा था ।
वे आए जीप में
हथकड़ियों समेत
चीख़ते बूटों समेत
बेवजह ।
वह जब अपने जलूस में
गली में से गुज़रा
मैं अपने घर के सामने
दीवार पर लगे इश्तिहार-सा हाज़िर था
उसने गली के सभी इश्तिहारों को
एक-एक करके देखा
और फिर चुपचाप जीप में जा बैठा ।
कोई नहीं कोई नहीं
वह मेरा कोई नहीं था
जीप चली गई तो लगा
यह गली एक दरिया थी
जो अभी-अभी सूखा है
यहाँ एक पेड़ था
जिसके पंछी-पत्ते अचानक
उड़ गए हैं कहीं
घर की दुछत्ती पर
एक कबाड़-बक्सा है
उस में खुरदरा, ज़ंग लगा
एक चाकू है, बेवजह ।
कोई नहीं कोई नहीं
वह मेरा कोई नहीं था
मेरे पड़ोस में रहता वह
मेरा पड़ोसी नहीं था ।
'''पंजाबी से अनुवाद : गगन गिल'''
</poem>