Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवारुण भट्टाचार्य |अनुवादक=जयश्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नवारुण भट्टाचार्य
|अनुवादक=जयश्री पुरवार
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
एक बात पर चिंगारी उड़कर
सूखी घास पर कब गिरेगी ?

सारा शहर उथल पुथल,
भीषण क्रोध से लड़ाई होगी
ठोड़ी कटेगी, सीना चीरा जाएगा
लगाम छीनकर नाटक दौड़ेगा
सूखे कुँए में सुख लगाएगा छलांग
जेलख़ाने में सपना क़ैद होगा
एक दर्द बरछी बनकर कब छत्ते में बिंध जाएगा ।

भयानक क्रोध मुखौटा फाड़ेगा
कठपुतली नाच में अग्नि जलेगी
तीव्र साहस सींखचे तोड़ेगा
काँच के टुकड़ों में अनेक छवि होगी
एक कली बारूद के गंध में मतवाली होकर कब खिलेगी ?

सारा शहर उथल पुथल,
भीषण क्रोध से लड़ाई होगी ।

'''मूल बंगला भाषा से अनुवाद - जयश्री पुरवार'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,978
edits