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आजमाना भी जानता है वो / कांतिमोहन 'सोज़'
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21 जुलाई
ग़ैर ने अब तो कर दिया साबित
नाज
नाज़
उठाना भी जानता है वो ।
क्यूँ कफ़स से न आशना हो लूँ
आशियाना भी जानता है वो ।
सोज
मेरे अश्कों ने झाँक कर देखा
मुसकुराना भी जानता है वो ।
सोज़
तो दिल्लगी में
प्यार
ख़्वार
हुआदिल लगाना भी जानता है वो ।
</poem>
अनिल जनविजय
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