सन्दीप अग्रवाल जी ने अंत में सभी श्रोताओं को धन्यवाद दिया एवं हिंदी यू.एस.ए. से जुड़ने का आव्हान किया।
कुछ श्रोताओं ने हिन्दी की पुस्तकें, कवियों के सी.डी. व डी.वी.डी. भी खरीदे। पुस्त्कों के साथ-साथ भारतीय-कला तथा संस्कृति को दर्शाती हुई चित्रकला तथा पेंटिंग की प्रदर्शनी को भी दर्शकों ने सराहा। श्रोताओं ने खुले ह्रदय से अनुदान् दिया तथा भविष्य में हिन्दी यू.एस.ए. के कार्यक्रमों में शामिल होने की इच्छा भी जाहिर की। यदि आप भी हिन्दी यू.एस.ए. के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप हमारी website [[http://www.hindiusa.org|http://www.hindiusa.org]]देख सकते हैं या 856-582-5035 पर फोन कर सकते हैं।
== 'प्रवासिनी के बोल' का विमोचन==