'''ऊसरों में बीज बोना गुनाह है क्या ?'''
'''हाशिए पर प्रेम लिखना बुरा है क्या?'''
-0-ब्रज अनुवाद:हाँसिए पै नेह लिखिबौ/ रश्मि विभा त्रिपाठी एकु संझानयन आलेजियरा की धरती भींजी भईअनुभवी मोरे दुखनि की बासअरु बानैं बोयौ नेह कौ बीजनिसदिन सपन जल सौं सींचिचुमकारि सौं उपजिबे जोग करति रह्यौबिगर आस ई मरुधरआजु मोरे नयननि भीतरसोई मानुष हेरतुनेह कौ वट बिरिछ, साँचेहुँऊसर मैं बीज बोइबौ पाप ऐ का?हाँसिए पै नेह लिखिबौ बुरौ ऐ का?-0- </poem>