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26 अगस्त {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुरंगमा यादव
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अगर बनानी है पहचान
क्षमताओं को अपनी जान
भर के देखो सही उड़ान
एक बार जो लेना ठान
उस पर ही करना संधान
धूप-ताप बूँदों के बान
मन की छतरी लेना तान
खुद ही अपनी बनो प्रेरणा
हालातों पर नहीं बिफरना
पीछे मुड़कर नहीं निरखना
आगे बढ़कर कदम हटे ना
इन्द्रजाल कितने बलवान
रूप नये धर खींचें ध्यान
अपनी धुन में बढ़ते जाना
तुझको है मंजिल को पाना
गहराए यदि कहीं अँधेरा
दूर तलक ना दिखे उजेरा
मुसकानों के दीप जलाना
अपना रस्ता आप बनाना
निश्चित है मंजिल को पाना
</poem>