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|रचनाकार=सुरंगमा यादव
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राम के संग थे श्री हनुमान
राम कृपा से जिसने बनाए
राम के सारे बिगड़े काम।

ऋष्यमूक पर राम पधारे
लीला कर प्रभु ढूँढ़े सहारे
विप्र रूप में आकर पूछें
प्रभु का परिचय श्री हनुमान।

सागर तट पर सोचें वानर
सिया को ढूँढे कैसे जाकर
जामवंत के वचन सुने जब
सागर लाँघे श्री हनुमान।

सिया का दुःख देखा अतिभारी
व्याकुल नयन बहाते वारि
डाल मुद्रिका सिया के सम्मुख
धीर बँधाते श्री हनुमान।

शत्रु ने शक्ति लखन को मारी
राम पे विपदा आयी भारी
तत्क्षण राजवैद्य को लेने
लंका जाते श्री हनुमान।

भवन उठाने की तरकीबें
आज बताती हैं तकनीकें
गृह समेत वैद्य को लाये
त्रेता युग में श्री हनुमान ।

भव बंधन को काटने वाले
नागपाश के हुए हवाले
दुख में डूबी सेना सारी
लाये खगेश को श्री हनुमान।
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