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मानुषी / पारिजात

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सभ्यताको आदिकालमा पुर्‍याइसकेकी थिएँ ।
०००
...............................................[[मानुषी / पारिजात / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]
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