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मानुषी / पारिजात
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4 सितम्बर
सभ्यताको आदिकालमा पुर्याइसकेकी थिएँ ।
०००
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[[मानुषी / पारिजात / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]
</poem>
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