Changes

पर पुगिसकेको कालो मोटरसित
मृत्यु, आज .....जिन्दगीको छेवैनिर भएर गयो !
०००
..................................
[[हाट में इकट्ठे लोग / बैरागी काइँला / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का एक हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
10,371
edits