Changes

कलाकार / अष्‍टभुजा शुक्‍ल

1,235 bytes added, 13:06, 16 सितम्बर 2024
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अष्‍टभुजा शुक्‍ल |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अष्‍टभुजा शुक्‍ल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जाने दो जड़ों को
तनों को जाने दो
जाने दो कण्टकों को भी
लेकिन कम से कम
पत्तियाँ तो
सबकी कोमल होती हैं

पर हे खजूर !
तुम्हारी तो पत्तियाँ भी
इतनी नुकीली हैं
और गजब की चोखार
फिर हम भी तो ठहरे कलाकार

उन्हीं से बनाएँगे झाड़ू
और बुनेंगे चटाइयाँ
बैठकर रमजान में
चुभलाएँगे तुम्हारे फल
बूँद बूँद चुवाएँगे तुम्हें
तुम्हीं से बुहारकर
तुम्हीं पर बैठाएँगे
अपने थके - माँदे अतिथियों को
घूँट - घूँट पिलाएँगे
तुम्हारा ही आसव
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,801
edits