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16:18, 16 सितम्बर 2024 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अष्टभुजा शुक्ल
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
जब
दो लोगों के सुख
एकसमान होंगे
तो दोनों ही
खोल खोलकर दिखाएंगे
एक दूसरे को
अपना अपना सुख
लेकिन जब
दो लोगों की परेशानियाँ
एकसमान होंगी
तो उनमें से
किसी एक को
छिपानी ही पड़ेगी
अपनी तकलीफ़
अगले को
थामने के लिए
</poem>
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