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तुम्हारा फ़ोन आया
मैंने तुमसे बातें की
तुम्हारे शब्द व्यर्थ हुए

तुम्हारा फ़ोन नहीं आया
मैंने तुमसे बातें नहीं की
'शब्द व्यर्थ नहीं हुए'
यह पंक्ति कितना सुख देने वाली है

तुम मेरे घर आए
मैंने तुम्हें देखा
चाय पिलायी
विदा किया
कुंडी लगायी
ज़ोर से रोयी

मगर तुम मुझसे नहीं मिले कभी
तो तुम मेरे घर भी नहीं आए होगे
मैंने तुम्हें नहीं देखा होगा
तुमने नहीं पी होगी कोई चाय
'तुम कभी विदा नहीं हुए'
यह पंक्ति कितनी सुंदर है
</poem>
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