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06:04, 26 नवम्बर 2024 {{KKGlobal}}
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<poem>
वह बिना कुछ मिटाए या काटे भी शुद्ध कर सकता था
वर्तनी
मैंने लिखा ‘लगाव’
उसने ‘अ’ लगाकर उसे ठीक किया
‘अलगाव’
मैंने फिर से की ग़लती की
मैंने फिर से लिखा ‘लगाव’
उसने ‘वि’ लगाकर ठीक की मेरी ग़लती
‘विलगाव’
अंततः उसने मेरे जीवन का व्याकरण ठीक कर दिया
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