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|रचनाकार=दिनेश शर्मा
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<poem>
आंख नम हों
उत्साह कम हो
कदम बेदम हों
मां को याद करो
न दिखती राह हो
नहीं कोई चाह हो
निकलती आह हो
मां को याद करो
दर्द बढ़ता जाए
न दवा नज़र आए
मर्ज मिट न पाए
मां को याद करो
भय डाले डेरा हो
दूर तक अँधेरा हो
चाहें कि सवेरा हो
मां को याद करो
गर ठोकर खाई हो
साथ में तन्हाई हो
या उदासी छाई हो
मां को याद करो
आया तूफ़ान हो
गले अटकी जान हो
हार से परेशान हो
मां को याद करो
टूटा विश्वास हो
रक्तिम आस हो
रूकता श्वास हो
मां को याद करो
कदम डगमगाते हों
आगे बढ़ न पाते हों
छटपटा रह जाते हों
मां को याद करो
जब वक़्त खराब हो
भाग्य ओढ़े नकाब हो
अधूरा कोई ख़्वाब हो
मां को याद करो
</poem>