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बुधवार को 18:13 बजे {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=दिनेश शर्मा
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<poem>
मेरे लिए तारे लाएगा, तेरे बस की बात नहीं
चांद मुझे तू दिलवाएगा, तेरे बस की बात नहीं
सोना चांदी गाड़ी कोठी, ऐश करेंगे जीवन भर
कब तक यूं ही भरमाएगा, तेरे बस की बात नहीं
रोटी कपड़ा पास नहीं है, सिर पर छत की आस नहीं
रानी कैसे बनवाएगा, तेरे बस की बात नहीं
सात जन्म तक साथ रहेंगे, बस भी कर झूठी कसमें
कितने सपने दिखलाएगा, तेरे बस की बात नहीं
मन में रखकर मूरत मेरी, प्रेम पुजारी बन जाए
क्या तुझसे यह निभ पाएगा, तेरे बस की बात नहीं
</poem>