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|रचनाकार=दिनेश शर्मा
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<poem>
दुआओं रहनुमाओं को रहे वह ढूँढ गूगल में
दिलों की ख़ास बातों को रहे वह ढूँढ गूगल में
बड़े नादान हैं वह भी भरोसा ख़ूब करते हैं
अहा नाज़ुक फिज़ाओं को रहे वह ढूँढ गूगल में
लगे अहसास जब मेरे उन्हें कुछ पास दिल के तो
तभी से मेरे गीतों को रहे वह ढूँढ गूगल में
नया है आज का युग तो नयी इसकी कहानी है
दवाओं औ अदाओं को रहे वह ढूँढ गूगल में
हुआ नीलाम बढ़ चढ़कर यहाँ ईमान गलियों में
तभी शायद दुकानों को रहे वह ढूँढ गूगल में
</poem>