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8 जनवरी {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
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<poem>
मेरा छोटा बेटा मुझसे पूछता है
क्या मैं गणित सीखूँ ?
क्या फ़ायदा -- मैं कहने को होता हूँ
कि एक रोटी के दो कौर
एक से अधिक होते हैं
तुम एक दिन जान ही लोगे ।
मेरा छोटा लड़का मुझसे पूछता है
क्या मैं फ्रांसीसी सीखूँ ?
क्या फ़ायदा -- मैं कहने को होता हूँ
यह देश नेस्तनाबूत होने को है ।
तुम अपने पेट को हाथों से मसलते हुए
कराह भरे बिना
तकलीफ़ को झट समझ जाओगे ।
मेरा छोटा बेटा मुझसे पूछता है
क्या मैं इतिहास पढूँ?
क्या फ़ायदा -- मैं कहने को होता हूँ ।
अपने सिर को ज़मीन में धँसाए रखो
तब तुम शायद ज़िन्दा रह सको ।
</poem>
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